औरंगाबाद, कार्यालय संवाददाता :
धनवानों की लड़ाई में गुरुवार को नगर थानाध्यक्ष की चांदी कटी। हुआ यह कि प्रेम दारुका एवं दिवंगत हुए डा. बीएल दारुका की पत्नी अरुणा दारुका के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हुआ। दोनों के बीच तनातनी हुई तो सूचना थाने में पहुंची। पहले पीएसआई शकुंतला, फिर अविनाश और बाद में थानाध्यक्ष वृजनंदन महतो पहुंचे। अरुणा ने पुलिस को लिखित बयान दिया कि प्रेम दारुका एवं उसके परिजन मेरे घर को जबरदस्ती कब्जा करना चाहते हैं। मेरे घर में दीवार तोड़कर सामान भी चुराए हैं। पुलिस ने प्रेम दारुका के परिजनों को थाने पर बुलाया। प्रेम का पुत्र मनीष दारुका एवं राकेश सिंह थाना पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने दोनों को हाजत में बंद कर दिया। पैसे के लिए दबाव बनाया और रात्रि 12 बजे प्रेम के घर पहुंचे। प्रेम के पुत्र मनीष दारुका की पत्नी विभा दारुका को थानाध्यक्ष रात्रि में गिरफ्तार कर थाने ले जाने की धमकी देने लगे। विभा को बुधवार शाम को पुत्री हुई थी जिस कारण वह घर में सोई हुई थी। विभा की गिरफ्तारी की बात सुन प्रेम के परिजन भावुक हो गए और थानाध्यक्ष से छोड़ने की गुहार लगाने लगे। थानाध्यक्ष ने विभा को छोड़ने के लिए पांच लाख रुपए की मांग की। नहीं देने पर थाना ले जाने की धमकी दी। थानाध्यक्ष की धमकी से डरे प्रेम के परिजनों ने पहले पचास हजार देने को तैयार हुए परंतु थानाध्यक्ष नहीं माने। प्रेम के परिजनों एवं संजू अग्रवाल की माने तो थानाध्यक्ष तीन लाख रुपए पर अड़ गए। रात्रि में ही थानाध्यक्ष को पैसा दिया गया। न्याय की गुहार लेकर प्रेम के परिजन शुक्रवार सुबह एसपी आवास पहुंचे परंतु उनकी मुलाकात एसपी से नहीं हो सकी। मनीष दारुका ने बताया कि मुझे थाने से छोड़ते वक्त थानाध्यक्ष ने पैसे की बात कहीं न कहने की धमकी दी। मनीष के परिजन न्याय के लिए एसपी से मिलना चाहते हैं परंतु उनकी मुलाकात संवाद प्रेषण तक नहीं हो सकी है। मामले में पूछे जाने पर एसपी डा. सिद्धार्थ ने बताया कि शिकायत की जांच कराई जाएगी। मामला सत्य पाया गया तो थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई होगी। उधर इस पूरे मामले में पूछे जाने पर थानाध्यक्ष ने बताया कि मैंने प्रेम के परिजनों के खिलाफ कानून संगत कार्रवाई की है। उनसे न तो मैंने पैसा मांगा है और न ही लिया है। प्रेम के परिजनों का आरोप गलत है। बहरहाल, इस पूरे मामले की चर्चा शहर में जोरों पर है।
धनवानों की लड़ाई में गुरुवार को नगर थानाध्यक्ष की चांदी कटी। हुआ यह कि प्रेम दारुका एवं दिवंगत हुए डा. बीएल दारुका की पत्नी अरुणा दारुका के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हुआ। दोनों के बीच तनातनी हुई तो सूचना थाने में पहुंची। पहले पीएसआई शकुंतला, फिर अविनाश और बाद में थानाध्यक्ष वृजनंदन महतो पहुंचे। अरुणा ने पुलिस को लिखित बयान दिया कि प्रेम दारुका एवं उसके परिजन मेरे घर को जबरदस्ती कब्जा करना चाहते हैं। मेरे घर में दीवार तोड़कर सामान भी चुराए हैं। पुलिस ने प्रेम दारुका के परिजनों को थाने पर बुलाया। प्रेम का पुत्र मनीष दारुका एवं राकेश सिंह थाना पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने दोनों को हाजत में बंद कर दिया। पैसे के लिए दबाव बनाया और रात्रि 12 बजे प्रेम के घर पहुंचे। प्रेम के पुत्र मनीष दारुका की पत्नी विभा दारुका को थानाध्यक्ष रात्रि में गिरफ्तार कर थाने ले जाने की धमकी देने लगे। विभा को बुधवार शाम को पुत्री हुई थी जिस कारण वह घर में सोई हुई थी। विभा की गिरफ्तारी की बात सुन प्रेम के परिजन भावुक हो गए और थानाध्यक्ष से छोड़ने की गुहार लगाने लगे। थानाध्यक्ष ने विभा को छोड़ने के लिए पांच लाख रुपए की मांग की। नहीं देने पर थाना ले जाने की धमकी दी। थानाध्यक्ष की धमकी से डरे प्रेम के परिजनों ने पहले पचास हजार देने को तैयार हुए परंतु थानाध्यक्ष नहीं माने। प्रेम के परिजनों एवं संजू अग्रवाल की माने तो थानाध्यक्ष तीन लाख रुपए पर अड़ गए। रात्रि में ही थानाध्यक्ष को पैसा दिया गया। न्याय की गुहार लेकर प्रेम के परिजन शुक्रवार सुबह एसपी आवास पहुंचे परंतु उनकी मुलाकात एसपी से नहीं हो सकी। मनीष दारुका ने बताया कि मुझे थाने से छोड़ते वक्त थानाध्यक्ष ने पैसे की बात कहीं न कहने की धमकी दी। मनीष के परिजन न्याय के लिए एसपी से मिलना चाहते हैं परंतु उनकी मुलाकात संवाद प्रेषण तक नहीं हो सकी है। मामले में पूछे जाने पर एसपी डा. सिद्धार्थ ने बताया कि शिकायत की जांच कराई जाएगी। मामला सत्य पाया गया तो थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई होगी। उधर इस पूरे मामले में पूछे जाने पर थानाध्यक्ष ने बताया कि मैंने प्रेम के परिजनों के खिलाफ कानून संगत कार्रवाई की है। उनसे न तो मैंने पैसा मांगा है और न ही लिया है। प्रेम के परिजनों का आरोप गलत है। बहरहाल, इस पूरे मामले की चर्चा शहर में जोरों पर है।
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