Friday, 26 August 2011

सही पथ

princ kumar
अपने जीवन का उज्जवल पक्ष देखना हमारी समस्याओं का एक सुंदर समाधान है। जब भी लगे कि अभाव बहुत है, संकट अधिक है, तब यह देखना उपयुक्त होगा कि इन स्थितियों में जीवन में उपलब्धियां भी तो हैं। ये उपलब्धियां सभी को प्राप्त नहीं। किसी को विद्या प्राप्त है, किसी को धन प्राप्त है, कोई सेवा में है, कोई श्रमिक है, प्रत्येक की उपलब्धियों का उसके लिए महत्व है। श्रमिक का श्रम, धनी के धन से कम महत्वपूर्ण नहीं है। अत: संपूर्ण उपलब्धियां एक साथ न होने पर जो प्राप्त हुआ है वह महत्वपूर्ण है।
दूसरों को कष्ट न देकर, नीति मार्ग का उल्लंघन न करके जो भी प्राप्त हो उसे बहुत समझना चाहिए। यही जीवन-दर्शन है। संतोष का मार्ग पलायन या पराजय नहीं, अपितु जीवन की सही दृष्टि है। सत्पथ है, जो हमें निराशा से बचाता है। जीवन की समीक्षा करने पर हम पाते हैं कि अनेक बार हमारी दुष्चिंताएं व्यर्थ होती हैं। हम शंकाग्रस्त रहते हैं, किंतु उस प्रकार की कोई घटनाएं नहीं घटित होतीं। अत: चिंतन हो तो अच्छा चिंतन हो। हर-समय मंथन अच्छा नहीं, विचारशून्यता भी जीवन का आवश्यक पक्ष है। अपनी उपलब्धियों को हम गौण समझ लेते हैं और जो उपलब्ध नहीं है, उसकी चाह हमें दौड़ाती रहती है। तथ्य यह है कि हमें दैनंदिन जीवन में उपलब्धियों का आनंद लेना चाहिए, किंतु हम ऐसा नहीं कर पाते। दृष्टि बदलना आवश्यक है। सकारात्मक दृष्टि हमें शांति देती है। हमारे अहंकार के अनुसार सब हो जाए, यह संभव नहीं है। जो हमें मिला है, उसका विचार करें तो पाएंगे कि विद्या, बुद्धि, धन, पद, वृत्ति, चिंतन, सत्संग और साहित्य आदि के रूप में हमें हमारी योग्यता से कहीं अधिक प्राप्त हुआ है। सच मानिए यही जीवन का अनंत वरदान है। प्रयास निरंतर जारी रखें। प्रयास करने पर भी यदि सफलता नहीं मिलती, तो इसमें मनुष्य का कोई दोष नहीं। अत: हम सभी को अपना कर्तव्य करना चाहिए और प्राप्त वस्तुओं का सदुपयोग करना चाहिए। परमपिता से सर्व कल्याण की प्रार्थना करनी चाहिए। सर्व कल्याण में ही आत्मकल्याण भी निहित होता है। princ kumar

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